लड़की हू पर करतब दिखाना मजबूरी है
दिन रात कैसे काटे यह भी जरुरी है।

रोज में करतब से कभी कुछ रुपये कमा लेती हूॅ ,
बस मैं यही जिदंगी जीत लू

रोज पेट के लिये कमाना जरुरी है ।
ऐसी जिदंगी रोज जीना मेरी आदत बन गयी

क्या करु परिवार के साथ जिंदगी गुजारना भी जरुरी है ।
रोजाना करतब दिखाती हूॅ में कभी रस्सी पर तो कभी थाली पर

उस पर चलना भी मेरी मजबूरी है।
सारे हाल यू ही मेरे इस संघर्ष से सुधर जाते है,

पर हर रास्तो पर करतब दिखाना जरुरी है।

 

 

अक्षय भंडारी
सरदारपुर (धाऱ) मध्यप्रदेश